पंचांग भेद को लेकर इन्दौर में 90 वर्ष बाद विद्वानों का चिंतन
संवत् 2078 से दो पंचांगों में सुधार का मिला आश्वासन परशुराम महासभा को दो दिनी ब्राह्मण महाकुंभ सम्पन्न नब्बे वर्ष पूर्व 13 जनवरी 1930 को पंचांग प्रवर्तक समिति के सभापति विद्याभूषण पं. दीनदयाल शास्त्री चुलैट ने पूरे पांच माह गहन अध्ययन, सलाह, विचार मंथन के बाद इन्दौर के महाराजा होलकर के गृह सचिव को …
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विद्वान ही मिटा सकते हैं पंचांग भेद
इदौर में 90 वर्ष बाद पंचांग मतभिन्नता को लेकर विराट चिंतन २ का आयोजन हुआ। देश के सबसे प्राचीन पंचांग निर्माताओं के उत्तराधिकारी ज्योतिष भूषण पं. आनंदशंकर व्यास के मुख्य आतिथ्य में ब्राह्मण महाकुंभ 28 दिसंबर को संपन्न हुआ । परशुराम महासभा द्वारा आयोजित महा सम्मेलन में पंचांगों की भिन्नताओं पर गंभीर …
सर्वप्रथम वशिष्ठजी बने थे ब्राह्मणों का राजा
काशी में सबसे पहले दण्डपाणि गणेश का पूजन करने के बाद ही विश्वेश्वर भगवान का पूजन करने का महत्व है काशी को वाराणसी, रुद्रवास, महाश्मशान, आनंदवन तथा बनारस कहते हैं। महाभारत के अनुशासन वर्ष व शांति पर्व में ब्राह्मणों की महिमा का विस्तार से वर्णन है। सहस्रार्जुन को दत्तात्रयजी से वरदान मिला था कि सिर्…
शंकराचार्यजी ने की पंचांगों की एकरूपता के प्रयासों की सराहना
श्री परशुराम महासभा ने दो तिथि, दो पर्व, दो उत्सव को लेकर फैल रही भ्रांतियों को दूर करने के लिए सभी पंचांगों में एकरूपता लाने के लिए विप्र जगत् के प्रधान सम्पादक पं. विजय अडीचवाल, पं. आदित्य पाराशर, पं. विनायक पांडे को अधिकृत किया है। पं. विजय अडीचवाल, पं. आदित्य पाराशर ने पंचांग निर्माता पं. आनं…
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जगदगुरु शंकराचार्य के सान्निध्य में पंचागों की एकरूपता की घोषणा संभव
इन्दौर में विप्र बंधुओं का शंखनाद   परशुराम महासभा का विराट महासमागम 28-29 दिसंबर को   श्री परशुराम महासभा इन्दौर द्वारा 28-29 दिसंबर को ब्रह्म समागम का आयोजन किया जा रहा है। समाचार लिखे जाने तक कार्यक्रम जगदगुरु शंकराचार्य, स्वामी स्वरूपानंदजी सरस्वती के सान्निध्य में सम्पन्न होने के पूरे प्रयास च…
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अदृश्य है ब्राह्मणों की एकता
सगठन से छोटे-छोटे राज्य भी उन्नत हो सकते हैं , किंतु विभेद उत्पन्न होने से बड़े राज्य भी नष्ट हो जाते हैं। समाज संगठित होकर खड़ा रहता है , किंतु विभाजित होते ही गिर पड़ता है। संगठन में बहुत ताकत है । समाज संगठन को लेकर कुछ लोग मंच से भ्रम फैलाते हैं कि समाज के लोग परस्पर टांग खींचते हैं ।...समाज कभ…